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मंगलवार, 8 मार्च 2011

खबर से बे -खबर ...................

बे -खबर ,बे -घर 
छत की चिंता कहाँ 
जहाँ  पर बैठे 
वहीँ घर 
भूखा -प्यासा 
जीवन 
जी रहें हैं  
जीवन  की नई दर्द से 
अपनी जीवन जी रहें हैं 
लक्ष्मी नारायण लहरे 

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