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शुक्रवार, 11 मार्च 2011

मद मस्त मौला ..उस्ताद

मद मस्त मौला  ..उस्ताद .......
सड़कों पर बेखौप 
गलियों का राही 
निकल पड़ा है 
सुबह से 
खबर नहीं है 
दिन -रात की 
बस चले जा रहा है 
बस चले जा रहा है .........
नजरें-छुपकर ...........उस्ताद .... 
नजरें -छुपकर ..उस्ताद 
फुर्सत से चल रहा है 
अपनी मुंह में 
प्यलेट ...
दबाकर 
दबे पांव 
चल रहा है 
दोंनो के हैं रंग निराले खुले आसमा के ये हैं 
दो सितारे

लक्ष्मी नारायण लहरे 000

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