मद मस्त मौला ..उस्ताद .......
सड़कों पर बेखौप
गलियों का राही
निकल पड़ा है
सुबह से
खबर नहीं है
बस चले जा रहा है .........
नजरें-छुपकर ...........उस्ताद ....
नजरें -छुपकर ..उस्ताद
फुर्सत से चल रहा है
प्यलेट ...
दबाकर
दबे पांव
चल रहा है
दोंनो के हैं रंग निराले खुले आसमा के ये हैं
दो सितारे
लक्ष्मी नारायण लहरे 000
.सुन्दर चित्रमयी प्रस्तुति .बधाई .
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