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गुरुवार, 22 सितंबर 2011

प्रगति......


प्रगति आतंक की जननी है 
खून तो मानो आतंक है 
पर प्रगति तो धमनी है 
प्रगति ने किया बंदूकों का आविष्कार 
इंसानों ने किया अपनों का ही शिकार 
प्रगति ने ही किया परमाणु अस्त्रों का आविष्कार  
जल गया हिरोशिमा नागासाकी जिसका न कोई आधार 
प्रगति अभी खोज रही थी कैंसर का उपचार 
लो आ गया नया एड्स का भरा पूरा परिवार 
प्रगति ने ही किया है वकील अदालतों का आविष्कार 
बोफोर्स, हवाला चारा करके भी बच गई सरकार 
प्रगति का सबसे बड़ा आविष्कार तो है नोटों की लम्बी तलवार 
जिससे काटो तो ना निकले खून और बचे कातिल हर बार..... 


बुधवार, 7 सितंबर 2011

मिलन ...


अब ना ,कहना 
अब ना ,रोना 
अब ना ,हंसना 
अब ना , इंतजार करना 
अब ना ,रूठ पाओगी 
अब ना ,मुझे ढूंढ़ पाओगी 
अब ना ,मुझे देख पाओगी
अब ना ,मिलन ... होगा 
अब ना ,तुम्हें देंगे कोई ताने 
अब... तो मुझे बस 
तुम अतीत में ही ढूंढ़ पाओगी
जब- तक  तुम्हें पता चलेगा ...
मैं कहाँ हूँ ...
तब -तक 
मेरी , लाश राख में तब्दील हो  गया होगा ? 
मैं हंसता हुआ जा रहा हूँ
अब ना ,तुम रोना 
मुझे यूँ ... न याद कर 
आंसू ,बहना 
हँसते हुए 
सखी तुम अपनी .. लड़ाई .... स्वयं लड़ना 

लक्ष्मी नारायण लहरे "साहिल "